अमरनाथ धाम की महिमा निराली है।
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Amarnath yatra ke labh :- अमरनाथ यात्रा के लाभ :- कबूतर के जोड़े के दिखने का लाभ। |
भारत के प्राचीन ग्रंथों और आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री अमरनाथ धाम की पवित्र गुफा संपूर्ण सृष्टि के आद्य और आराध्य देव भगवान शिव शंकर का निवास है।
इस पवित्र गुफा में प्राकृतिक रूप से बनाने वाले बर्फ के शिवलिंग के रूप में स्वयं भगवान शंकर विराजमान होते हैं अत: यहअमरनाथ धाम सृष्टि के आदिकाल से ही संपूर्ण मानव समाज का आस्था स्थल रहा है।
श्रीनगर के पूर्व में लगभग 135km की दूरी पर स्थित अमरनाथ धाम की पवित्र गुफा लगभग 13609 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है 50 फुट लंबी और, 25फुट चौड़ी इस गुफा और तीर्थ यात्रा का वर्णन 5 हजार वर्ष पुराने नील मत पुराण में भी मिलता है।
विश्व प्रसिद्ध कश्मीरी इतिहासकार कल्हण ने 12 वी सदी में अपने ग्रंथ राज तरंगिणी में इसका वर्णन किया है आईना -ए- अकबरी मैं अबुल फजल ने तथा प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक वाल्टयर लॉरेंस ने भी अपने ग्रंथ 'द वेलीऑफ कश्मीर' में इसकी चर्चा की है।
इस स्थान की महानता का पता इसी बात से चलता है कि सुदूर केरल निवासी आदि शंकराचार्य ने यहां पहुंचकर शिवलिंग की पूजा की थी उनकी स्मृति में श्रीनगर स्थित शंकराचार्य पर्वत पर शंकराचार्य मंदिर भी है दुर्भाग्य से कट्टरपंथियों ने इस शंकराचार्य पर्वत का नाम तखत-ए- सुलेमान हिल कर दिया है स्वामी रामतीर्थ ,स्वामी दयानंद स्वामी विवेकानंद, अमरनाथ धाम में पूजा करने आ चुके हैं।
इस स्थान के अस्तित्व में आने के बारे में यह मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव ने अमरनाथ धाम की कथा माता पार्वती को सुनाई थी इस का रोचक वर्णन मिलता है देवर्षि नारद ने मां पार्वती से कहा कि शिव से पूछो कि उनके गले में मुंडमाला का रहस्य क्या है तब मां पार्वती के आग्रह पर भोले बाबा ने बताया कि इस माला में पार्वती जी के अलग-अलग जन्मों के मुंड हैं।
तब मां पार्वती को एहसास हुआ कि वह भी जन्म-मृत्यु के बंधन में है मां द्वारा तब अमृतसर के लिए बार-बार आग्रह करने पर भोले शंकर ने अमरनाथ धाम की कथा सुनाना मान लिया।
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Amarnath yatra ke labh :- अमरनाथ यात्रा के लाभ :- कबूतर के जोड़े के दिखने का लाभ। |
ऐसी भी मान्यता है कि भगवान शंकर द्वारा माता पार्वती को बताया जा रहा सृष्टि के निर्माण और विनाश का रहस्य कबूतरों के एक जोड़े ने भी सुन लिया था यह दोनों कबूतर भी अमर हो गए कहते हैं कि यह सफेद कबूतरों का जोड़ा आज भी बर्फानी शिवलिंग के दर्शन करने प्रत्येक वर्ष आता है कई यात्रियों ने इन्हें देखा भी है।