मां वैष्णो देवी धाम की महिमा - मां वैष्णो देवी की कहानी - हिंदी में
यह मंदिर कटरा से 14 km दूर ,समुद्र तल से 5200 फुट की ऊंचाई पर त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है यहां नव वर्ष पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है
इस मंदिर में निर्माण लगभग 700 साल पहले मां वैष्णवी के भक्त पंडित श्रीधर द्वारा करवाया गया था अपनी संतान होने से दुखी रहते थे एक बार उन्होंने नवरात्रि पूजन के लिए कुंवारी कन्याओं को बुलाया मां वैष्णवी कन्या वेश में उन्ही के बीच आ बैठी ,पूजन के बाद सभी कन्याएं तो चली गई पर मां वैष्णो देवी वहीं रही और श्रीधर से बोली-'सबको अपने घर भंडारे का निमंत्रण दे आओ ' श्रीधर ने इस दिव्य कन्या की बात मान आस-पास के गांव में भंडारे का संदेश पहुंचा दिया।
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वहां से लौट कर आते समय गुरु गोरखनाथ व उनके शिष्य बाबा भैरवनाथ के साथ उनके दूसरे शिष्यों को भी भोजन का निमंत्रण दिया श्रीधर के घर गांव वासी भोजन के लिए एकत्रित हुए तब कन्या रूपी मां वैष्णो देवी ने सभी को भोजन परोसने शुरू किया भोजन परोसने हुए जब वह कन्या भैरव नाथ के पास गई तब उसने कहा कि मैं तो खीर पूड़ी की जगह मांस भक्षण और मदिरापान करूंगा तब कन्या रूपी मां ने उसे समझाया कि ब्राह्मण के घर के भोजन में मांसाहार नहीं किया जाता कि दो भैरवनाथ जानबूझकर अपनी बात पर अड़ा रहा।
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जब भैरवनाथ ने उस कन्या को पकड़ना चाहा तो उसके कपट को जान मां त्रिकुटा पर्वत की ओर चली भैरवनाथ भी उनके पीछे गया माता ने वहां से आने के बाद एक गुफा में प्रवेश कर 9 माह तक तपस्या की इस बीच भैरवनाथ भी वहां आ गया तब एक साधु ने भैरवनाथ से कहा कि तू जिसे एक साधारण कन्या समझ रहा है आदि शक्ति जगदंबा है इसलिए उस महाशक्ति का पीछा छोड़ दे भैरवनाथ में साधु की बात नहीं मानी तब माता गुफा की दूसरी ओर से मार्ग बना कर बाहर निकल गई यह गुफा आज भी अर्ध कुमारी यासे कुमारी के नाम से प्रसिद्ध है माता ने भैरवनाथ को जताते हुए वापस जाने को कहा नहीं मानने पर माता वैष्णवी ने महाकाली का रूप में आकर भैरवनाथ का संहांर कर साथ ही क्षमा दान मांगने और मोक्ष प्राप्ति का वरदान दिया भैरवनाथ का सिर काटकर भवन से 8 किलोमीटर दूर त्रिकुटा पर्वत की घाटी में गिरा जिसे आज भैरव घाटी के नाम से जाना जाता है।
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Bhairav ghati,मां वैष्णो देवी धाम की महिमा - मां वैष्णो देवी की कहानी - हिंदी में at dailyfree.in |
तथा वह स्थान जहां सिर गिरा वहां भैरव नाथ का मंदिर है जिस स्थान पर मां वैष्णो देवी ने हटी भैरवनाथ का वध किया वह स्थान पवित्र गुफा अथवा भवन के नाम से प्रसिद्ध है इसी स्थान पर मां काली मां सरस्वती मां लक्ष्मी पिंडी के रूप में गुफा में विराजमान हैं इन तीनों के सम्मिलित रूप को ही मां वैष्णो देवी का रूप कहा जाता है।